Software Engineering: योग्यता, परीक्षा, प्रवेश, फीस, स्कोप, सैलरी

Software Engineering in Hindi: सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग इंजीनियरिंग की एक ऐसी शाखा है जिसमे सॉफ्टवेयर की डिज़ाइन, प्लानिंग, डेवलपमेंट, मेंटेनेंस, आदि के बारे में जानकारी प्रदान किया जाता है।

इन दिनों डिजिटलीकरण के चलते हर व्यक्ति के हाथ मे स्मार्टफोन, कंप्यूटर, लैपटॉप है। सिर्फ ऐसा ही नहीं, नौकरी हो या बिजनेस, आज के समय सभी जगह कंप्यूटर का इस्तेमाल किया जाता है।

इन कंप्यूटर, मोबाइल, लैपटॉप आदि को ऑपरेट करने में और किसी भी विशेष काम को विशेष रूप से पूरा करने में विशेष प्रकार की सॉफ्टवेयर की आवश्यकता होती है।

आज हम लोग एक ऐसी समय में जी रहे है जहां सॉफ्टवेयर की भूमिका इतना है जो हम कल्पना भी नहीं कर सकते। एटीएम से पैसे निकालने से लेकर दोस्तों के साथ चैट करने तक हमारे हर कदम पे हम लोग सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल कर रहे है।

सॉफ्टवेयर इंडस्ट्रीज की इस बढ़ती हुई मांग को देखते हुए स्टूडेंट्स के मन मे सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स को लेकर रुझान तेजी बढ़ रहे है। ज्यादातर इंजीनियर बनने वाले स्टूडेंट्स आज सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने की सपना देख रहे है।

यदि आप भी उन स्टूडेंट्स में शामिल है जो आगे चलकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने का ख्वाइश रखते है परंतु इसके सही मार्ग के बारे में आपको पता नहीं है तो कृपया आप लेख को ध्यानपूर्वक पढ़े।

यहां हम Software Engineering in Hindi में चर्चा करेंगे ताकि आपको इस कोर्स के सभी पहलुओं जैसे सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग क्या है, इसके लिए क्वालिफिकेशन, बेस्ट कोर्स, सिलेबस, बेस्ट कॉलेज, कोर्स फीस, नौकरी और सैलरी, इत्यादि के बारे में पता चले।

Software Engineering in Hindi

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Software Engineering Course

इंजीनियरिंग की सबसे महत्वपूर्ण शाखाओं में से एक है सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग। यह एक ऐसी शाखा है जिसमे विद्यार्थियों को सॉफ्टवेयर डिजाइनिंग, प्लानिंग, डेवलपमेंट, ह्यूमन कंप्यूटर इंटरेक्शन मेंटेनेंस, सिक्युरिटी जैसे कार्य के बारे में सिखाया जाता है।

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग लेकर पढ़ने वाले उम्मीदवारों को 12वीं में फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथेमेटिक्स लेकर पढ़ाई करनी चाहिए। जिसके बाद एंट्रेंस एग्जाम और मेरिट के आधार पर सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के बीटेक कोर्स में एडमिशन ले सकते है।

यह चार साल की कोर्स है। हालांकि लेटरल एंट्री लेने वालों के लिए तीन वर्ष लगता है। इंसमे उत्तीर्ण होने वाले उम्मीदवारों को सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में आईटी कंपनियों द्वारा अपने फर्म में नियुक्त कर ली जाती है।

एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर को मुख्यतः यूजर या कंपनी के आवश्यकताओं के अनुसार वैज्ञानिक सिद्धांत और अपने प्रोग्रामिंग स्किल्स को उपयोग करके सॉफ्टवेयर का निर्माण, टेस्टिंग और मेंटेनेंस करना होता।

यदि हम विस्तार से यह जानना चाहे की सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग में क्या क्या सिखाया जाता है तो हमे निम्नलिखित बिंदुओं पर खास ध्यान देना होगा;

प्रोग्रामिंग लैंग्वेज: इस कोर्स के सबसे महत्वपूर्ण भाग है प्रोग्रामिंग लैंग्वेज जिसके बिना यह कोर्स निराधार हो जाते है। इंसमे C, C++, HTML, Java, JavaScript, CSS, Python, Ruby, PHP, SQL, आदि सीखना जरूरी है।

सॉफ्टवेयर आर्किटेक्चर: किसी सॉफ्टवेयर बनाने से पहले उसके आर्किटेक्चर कैसा होना चाहिए उसे इस भाग में सिखाया जाता है।

सॉफ्टवेयर डिजाइनिंग: प्रोग्रामिंग लैंग्वेज की मदत से कोडिंग करने से पहले उसके इंटरफ़ेस डिज़ाइन, डेटाबेस डिज़ाइन, सिस्टम डिज़ाइन आदि को सुनिश्चित कर लेनी चाहिए और उसी के आधार पर कोडिंग करनी चाहिए।

सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट: यह भी एक महत्वपूर्ण भाग है सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग का जिसमे यह सिखाया जाता है कि कैसे एक सॉफ्टवेयर को डेवलप किया जाता और इस दौरान कौन कौन से समस्याएं आ सकती है।

अल्गोरिथम एंड डेटा स्ट्रक्चर: इस भाग में बुनियादी शिक्षा जैसे डेटा स्ट्रक्चर, अल्गोरिथम, कंप्यूटेशनल कॉम्प्लेक्सिटी से जुड़े जानकारी दिया जाता है।

सॉफ्टवेयर प्रोजेक्ट मैनेजमेंट: कोर्स की इस पार्ट में सॉफ्टवेयर मैनेजमेंट मेथोडोलॉजी जैसे कि एजाइल और वाटरफॉल, टूल्स और टेक्निक आदि के बारे में सिखाया जाता है।

सॉफ्टवेयर टेस्टिंग: कंप्यूटर डेवलप होने के बाद उसे टेस्टिंग करना जरूरी है ताकि सभी सिस्टम में समान तरीके से काम करे। इसलिए सॉफ्टवेयर सिस्टम टेस्टिंग, इंटीग्रेशन टेस्टिंग आदि के बारे में सीखना अनिवार्य है।

सॉफ्टवेयर मेंटेनेंस: सिर्फ सॉफ्टवेयर डेवलप करने से काम खत्म नहीं होता उसे मेंटेन करना भी जरूरी है। समय समय नई फीचर्स और bugs को फिक्स करने के लिए अपडेट करती रहनी चाहिए।

सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट टूल्स: इस भाग में सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट टूल्स के बारे में बताया जाता है। जैसे कि, इंटीग्रेटेड डेवलपमेंट एनवायरनमेंट (IDEs), वर्शन कंट्रोल सिस्टम, कोड एडिटर, इत्यादि।

सॉफ्टवेयर सिक्योरिटी: किसी भी चीज़ बनाने के बाद उसके सुरक्षा भी सुनिश्चित करना चाहिए ताकि किसी के द्वारा कोई हानि न पहुंचे। ठीक इसी प्रकार सॉफ्टवेयर को भी सुरक्षित करना आवश्यक है अन्यथा हैकर इसे हैक कर सकता है।

इन सभी पॉइंट्स के अतिरिक्त सॉफ्टवेयर डेवलपमेंट मेथोडोलॉजी, क्वालिटी अस्सुरेंस, सॉफ्टवेयर कॉन्फ़िगरेशन मैनेजमेंट, सॉफ्टवेयर इवैल्यूएशन जैसे पॉइंट्स इंसमे शामिल है।

Software Engineering ke Qualification

Software engineering in Hindi के बाद सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स के लिए योग्यता की बात करे तो, इसके लिए विद्यार्थियों के पास कुछ प्राथमिक पात्रता होनी चाहिए। जैसे कि;

• सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की पढ़ाई करने वाले उम्मीदवारों को किसी मान्यता प्राप्त बोर्ड से फिजिक्स, केमिस्ट्री और मैथेमेटिक्स लेकर 12वीं पूरा करना चाहिए।

• स्टेट लेवल या नेशनल लेवल पर आयोजित की जाने वाली एंट्रेंस एग्जाम के माध्यम से सरकारी इंजीनियरिंग कॉलेज और IIT, NIT, BIT में एडमिशन मिल जाता है। इसके अलावा बड़े बड़े इंस्टीट्यूट्स अपने अपने एग्जाम आयोजित करते है एडमिशन के लिए।

• 12वीं में उम्मीदवारों को कम से कम 45 फीसदी नंबर प्राप्त करना अनिवार्य है और सर्वाधिक जितना हो सके। 12वीं में जितना ज्यादा नंबर होगा उतना अधिक चांस रहेगी अच्छे कॉलेज में एडमिशन के लिए।

• जो उम्मीदवार 10वीं या 12वीं के बाद तीन साल की कंप्यूटर साइंस में डिप्लोमा किये है वह इस कोर्स के लिए योग्य है। उसे सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की बीटेक में लेटरल एंट्री मिल जाएगा डायरेक्ट दूसरे वर्ष में।

• इन सभी शैक्षणिक योग्यताओं के अलावा उम्मीदवारों का आयु कम से कम 17 वर्ष होनी चाहिए। इंसमे आयु की कोई सर्वाधिक सीमा नहीं है।

Software Engineering Course in Hindi

Software engineering in hindi

क्योंकि हर कॉलेज बीटेक में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स ऑफर नहीं करते है इसलिए हमें यह जानना जरूरी है कि बीटेक में हम ऐसे कौन से स्ट्रीम लेकर पढ़ाई कर सकते है जिससे हम सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन सकेंगे।

कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग: सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने हेतु कंप्यूटर साइंस इंजीनियरिंग एक शानदार कोर्स है। यह चार साल की एक बीटेक या बिई कोर्स है। इस कोर्स में जो भी सिखाया जाता है वह एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए पर्याप्त है।

बीटेक इन आईटी: इंफोर्मेशनल टेक्नोलॉजी में आप बीटेक कर सकते है। यह चार साल की बैचलर डिग्री है जिसे कॉलेज के हिसाब से छह से आठ साल तक बढ़ाया जा सकता है।

बीसीए: बैचलर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन तीन साल की अंडर ग्रेजुएट डिग्री है। जिसमे सॉफ्टवेयर डिजाइनिंग, डेवलपमेंट, मेंटेन आदि बुनियादी लेवल से एडवांस लेवल तक सिखाया जाता है।

बीएससी इन कंप्यूटर साइंस: तीन साल की इस कोर्स में कंप्यूटिंग, प्रोग्रामिंग लैंग्वेज, नेटवर्किंग, डेटाबेस मैनेजमेंट, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग, आदि कवर किया जाता है। बीएससी कंप्यूटर साइंस के मध्यम से भी आप अपने सपने को साकार कर सकते है।

बीटेक इन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग: हर कॉलेज में यह कोर्स उपलब्ध नहीं है। लेकिन जिस कॉलेज में उपलब्ध है आप चाहे तो उंसमे एडमिशन ले सकते है।

एमटेक इन सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग: अगर आप बीटेक में कंप्यूटर इंजीनियरिंग या आईटी या फिर सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग करते है तो एमटेक में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग करके इंसमे महारत हासिल कर सकते है। यह दो साल की पोस्ट ग्रेजुएशन कोर्स है।

एमसीए: मास्टर ऑफ कंप्यूटर एप्लीकेशन बीसीए के बाद किया जाता है। यह दो साल की कोर्स है।

एमएससी: बीएससी इन कंप्यूटर साइंस के बाद आप इस कोर्स को कर सकते है सॉफ्टवेयर की क्षेत्र मास्टरी हासिल करने के लिए।

एमई: जिन विद्यार्थियों ने बिई किए है उनके लिए एमई बेस्ट ऑप्शन है।

ऊपर बताई गई किसी भी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स को करके आप सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन सकते है।

सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने की स्टेप बाय स्टेप जानकारी

अगर आपको सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना है तो निम्नलिखित स्टेप्स को बारीकियों से अनुसरण कर सकते है जहां हमने स्टेप बाय स्टेप जानकारी दी है सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए;

10वीं कंपलीट करे: सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने का पहला कदम सुरु होता है स्कूल से। सबसे पहले 10वीं पूरा करना है और इसके बाद साइंस का चुनाव करना है जिसमे फिजिक्स, केमिस्ट्री, मैथेमेटिक्स, कंप्यूटर साइंस का विषय होना जरूरी है।

12वीं पूरा करे: मैट्रिक में साइंस विषय का चयन करने के पश्चात उन विषय मे 11वीं और 12वीं पूरा करना है। हालांकि आप चाहे तो 10वीं के बाद पॉलीटेक्निक कर सकते है डिप्लोमा इन कंप्यूटर साइंस में। लेकिन मेरे अनुसार 12वीं करना बेहतर है।

बैचलर डिग्री का चुनाव करे: 12वीं पूरा करने के पश्चात सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए आपको Btech, BE, BCA, BSc, CSE में से कोई भी अपने मन पसंद कोर्स का चुनाव करना होगा।

अगर आपको NIT, IIIT, ITI जैसे बड़े बड़े इंस्टीट्यूट्स में दाखिला लेने के लिए एंट्रेंस एग्जाम देना होगा। अगर आपको NIT, IIIT में दाखिला लेना है तो JEE Main क्रैक करना होगा और अगर आप IIT में दाखिला लेना चाहते है तो आपको JEE Main और JEE Advance दोनों क्रैक करने होंगे।

मास्टर डिग्री करे: आप चाहे तो स्पेशलिजेशन के लिए मास्टर डिग्री जैसे Mtech, ME, MCA, Msc जैसे कोर्स कर सकते है।

इंटर्नशिप: या तो आप बैचलर डिग्री के बाद अन्यथा मास्टर डिग्री के बाद इंटर्नशिप कर सकते है। इससे आप अपने स्किल्स को सुचारू रूप से डेवलप करने में सक्षम होंगे जो जॉब अवसर तैयार करेगा।

जॉब के लिए आवेदन: जैसे इंटर्नशिप कंपलीट हो जाएगा आपको तुरंत एक आकर्षक Resume या CV तैयार करना चाहिए जो HR को आकर्षित कर सकें।

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स फीस

Software engineering in Hindi में अब आपको यह जानना जरूरी है कि सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स की फीस कितना होगा। जैसे कि अपने देखा, कॉलेज के हिसाब से अगल अगल सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स उपलब्ध होती है और इसके फीस स्ट्रक्चर में भी भिन्नताएं होती है।

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग सरकारी कॉलेज फीस

सरकारी कॉलेजों में सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स की फीस देखा जाए तो आमतौर पर कम होती है। यदि हम इसकी एवरेज फीस की बात करे तो सालाना ₹15,000 से ₹30,000 तक फीस लगती है।

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग प्राइवेट कॉलेज फीस

इस कोर्स के लिए प्राइवेट कॉलेजों में बहुत ही ज्यादा फीस चार्ज किया जाता है। प्राइवेट कॉलेज में फीस की कोई निर्धारित स्ट्रक्चर नहीं होते। इसलिए हर कॉलेज में आपको फीस की भिन्नताएं देखने को मिलेगी।

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के लिए प्राइवेट कॉलेज में अमूमन सालाना ₹80,000 से ₹3,50,000 तक खर्चा आ सकता है। ध्यान रहे यहां हमने एक औसतन फीस के बारे में बताये है। कॉलेज के हिसाब से इंसमे भिन्नता देखने को मिलेगी।

Software Engineering Scope

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग पूरा करने के बाद आपके सामने एक सुनहरे भविष्य संवारने के का अवसर प्राप्त होती है। निम्नलिखित कुछ बिंदुओं में हमने जॉब सेक्टर और जॉब प्रोफाइल के बारे में चर्चा की है।

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के बाद जॉब सेक्टर

टेक्नोलॉजी इंडस्ट्रीज: विश्व के सबसे बड़े बड़े टेक कंपनी जैसे कि गूगल, माइक्रोसॉफ्ट, अमेज़न, एप्पल, फेसबुक में सॉफ्टवेयर इंजीनियर के रूप में नौकरी कर सकते है।

कंसल्टिंग कंपनी: सॉफ्टवेयर इंजीनियर के लिए कंसल्टिंग कंपनी एक शानदार विकल्प है नौकरी के लिए। कंसल्टिंग कंपनियों में कुछ प्रमुख नाम है टीसीएस, इंफोसिस, विप्रो, एक्सेंचर, टेक महिंद्रा, आदि। इन कंपनियों द्वारा अपने क्लाइंट्स को मुख्यतः सॉफ्टवेयर सर्विस प्रदान किया जाता है।

टेलीकम्युनिकेशन इंडस्ट्रीज: इस क्षेत्र में ऐसे पेशेवरों का मांग काफी अधिक है। टेलीकम्युनिकेशन इंडस्ट्रीज अपने नेटवर्क और सर्विस के लिए सॉफ्टवेयर उपयोग करते है जिसके रखरखाव के लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियर को नियुक्त किया जाता है।

गेमिंग इंडस्ट्रीज: इन दिनों गेमिंग इंडस्ट्रीज का कुछ अलग ही ट्रेंड चल रहा है। एक आंकड़े के अनुसार कुछ सालों में इस इंडस्ट्रीज की वैल्यू कई गुना तक बढ़ने वाले है। यह एक ऐसी क्षेत्र है जिसकी कल्पना सॉफ्टवेयर इंजीनियर के बिना नहीं किया जा सकता। आप चाहे तो इंसमे भी अपना करियर बना सकते है।

फाइनेंशियल इंस्टीट्यूट्स: फाइनेंशियल ऑर्गनाइजेशन जैसे बैंक, इन्सुरेंस कंपनी, ब्रोकरेज फर्म, आदि सॉफ्टवेयर का मैनेज और सिक्युरिटी के लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियर को हायर करते है।

हेल्थ सेक्टर: समय के साथ हर क्षेत्र में सॉफ्टवेयर का इस्तेमाल किया जाने लगा है। हेल्थ सेक्टर भी इससे पीछे नहीं है। इन दिनों पेशेंट्स को बेहतर से बेहतर परिसेवा प्रदान करने के लिए हॉस्पिटल्स, मेडिकल लबोरटी, फार्मेसी, मेडिकल डिवाइस मैन्युफैक्चरिंग, आदि ऑर्गनाइजेशन में अधिक मात्रा में सॉफ्टवेयर इंजीनियर को हायर किया जा रहा है सॉफ्टवेयर मैनेज करने के लिए।

ई-कॉमर्स कंपनी: अमेज़न, फ्लिपकार्ट, वॉलमार्ट जैसे ई-कॉमर्स कंपनी अपने सॉफ्टवेयर की ऑपरेट, मैनेजमेंट, और सिक्योरिटी के लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियर को हाई सैलरी पैकेज प्रदान करके नियुक्त करते है।

गवर्नमेंट सेक्टर: कॉर्पोरेट सेक्टर के अलावा ऐसे पेशेवर व्यक्तियों को सरकारी डिपार्टमेंट में नियुक्ति मिलती है जहां उन्हें नेशनल सिक्योरिटी ऐजेंसी, डिफेंस ऑर्गनाइजेशन, रिसर्च एंड डेवलपमेंट आदि में आसानी नौकरी प्राप्त हो जाती है।

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के बाद जॉब प्रोफाइल

सॉफ्टवेयर डेवलपर: सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग पूरा होते ही डिफ़ॉल्ट रूप से आप एक सॉफ्टवेयर डेवलपर बन जाते है। जिनका काम है सॉफ्टवेयर के लिए कोडिंग, टेस्टिंग और डिबगिंग आदि करना।

वेब डेवलपर: सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के बाद एक वेब डेवलपर के रूप में आप काम कर सकते है। जिनका मुख्य काम है HTML, CSS, JavaScript, PHP आदि लैंग्वेज का इस्तेमाल करके वेब एप्लीकेशन और वेबसाइट बनाना।

फूल-स्टैक डेवलपर: ऐसे सॉफ्टवेयर इंजीनियर को फ्रंट एंड और बैक एंड में कोडिंग का पूरा ज्ञान होता है, जिन्हें सॉफ्टवेयर सिस्टम का सभी पहलू बखूबी आती है।

क्लाउड इंजीनियर: इन सॉफ्टवेयर इंजीनियर को क्लाउड कंप्यूटिंग के बारे में मास्टरी होती है। जिन्हें क्लाउड कंप्यूटिंग के डिज़ाइन, इम्पलीमेंटेशन, मैनेज आदि के बारे में सभी जानकारियां होती है।

मोबाइल डेवलपर: इन दिनों एंड्राइड और आईओएस मोबाइल ऐप की उपयोग ज्यादा मात्रा में किया जा रहा है। ऐसे में मोबाइल एप्लीकेशन डिवेलप करने के लिए सॉफ्टवेयर इंजीनियर को बड़े बड़े कंपनियों द्वारा हायर किया जाता है।

DevOps इंजीनियर: यह ऐसी सॉफ्टवेयर इंजीनियर होते है जो सॉफ्टवेयर डिप्लॉयमेंट, इंटीग्रेशन आदि को ऑटोमेशन करने पर जोर देती है।

डेटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर: डेटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर के रूप में ऐसे सॉफ्टवेयर इंजीनियरों को नियुक्त किया जाता है जो डेटाबेस मैनेजमेंट में महारत हासिल करते है। जिनके मुख्य काम है डेटाबेस के डिज़ाइन, इम्पलीमेंटेशन और मेंटेनेंस, आदि करना।

सिक्युरिटी इंजीनियर: सॉफ्टवेयर इंजीनियर को इंसमे सॉफ्टवेयर सिक्युरिटी, एन्क्रिप्शन, थ्रेट मॉडलिंग के ऊपर काम करना होता।

इन पोस्ट के अलावा और भी कई सारे पोस्ट जहां एक योग्य सॉफ्टवेयर इंजीनियर को नियुक्त किया जाता है।

सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग सैलरी

Software engineering in Hindi में अब आइए सैलरी की बात करते है। सैलरी पैकेज स्टूडेंट्स में मोटिवेशन का काम करते है। और ऐसे पेशेवर उम्मीदवारों को जिन्होंने सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग की कोर्स की है उन्हें हाई सैलरी पैकेज प्रदान करके नियुक्त किया जाता है।

किसी भी दूसरे जॉब सेक्टर की तरह इंसमे भी जॉब प्रोफाइल और एक्सपीरियंस के आधार पर सैलरी पैकेज निर्धारित किया जाता है। फिरभी, सॉफ्टवेयर इंजीनियर के सालाना सैलरी पैकेज के बारे में हमने एक औसतन आंकड़ा प्रस्तुत करने की कोशिश की है।

डेटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर की सैलरी: आमतौर पर एक डेटाबेस एडमिनिस्ट्रेटर को इंडिया में सालाना 5 लाख से 15 लाख का सैलरी पैकेज मिल जाता है।

सॉफ्टवेयर डेवलपर सैलरी: अमूमन इंडिया में एक सॉफ्टवेयर डेवलपर को सालाना 4.5 लाख से 14 लाख का पैकेज प्राप्त हो जाती है।

सिक्योरिटी इंजीनियर सैलरी: एक सिक्योरिटी इंजीनियर को हमारे देश मे सालाना औसतन 3 लाख से 20 लाख का सैलरी पैकेज मिल जाता है।

क्लाउड इंजीनियर सैलरी: क्लाउड इंजीनियर का सैलरी पैकेज सालाना 3 लाख से 13 लाख के बीच होती है।

DevOps इंजीनियर सैलरी: DevOps इंजीनियर को इंडिया में सालाना 4 से 14.5 लाख का पैकेज प्राप्त होती है।

मोबाइल डेवलपर सैलरी: इंडिया में मोबाइल डेवलपर की सैलरी 2.5 लाख से 12 लाख का सालाना सैलरी पैकेज मिलता है।

फूल-स्टैक डेवलपर सैलरी: फूल-स्टैक डेवलपर का सालाना सैलरी पैकेज लगभग 3 लाख से 16 लाख के बीच होती है।

Software Engineering Related FAQs

• एक सॉफ्टवेयर इंजीनियर की सैलरी कितनी होती है?

सॉफ्टवेयर इंजीनियर का सैलरी की बात करे तो इंडिया में सुरुआत में 5 लाख से 20 लाख रुपये तक सैलरी पैकेज प्राप्त होती है, पर जैसे जैसे एक्सपीरियंस बढ़ती है सैलरी स्ट्रक्चर में भी बढ़ोतरी होती है।

वहीं अगर विदेशों की बात की बात करे तो, वहां ऐसे पेशेवर उम्मीदवारों को हमारे देश की तुलना में कई गुना अधिक सैलरी मिलती है। यदि विदेशों में सॉफ्टवेयर इंजीनियर की औसतन सैलरी देखा जाए तो सालाना ₹40,00,000 से ₹80,00,000 तक होती है। हालांकि यह देश और जॉब पोजीशन के हिसाब से बदलती है।

• सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनने के लिए क्या करना पड़ेगा?

अगर आप सॉफ्टवेयर इंजीनियर बनना चाहते है तो आपके सामने दो रास्ते उपलब्ध है। जिसमे से पहला है, साइंस विभाग से 12वीं पास करके कंप्यूटर साइंस में सीधा बीटेक में दाखिला ले।

अन्यथा आप चाहे तो पहले कंप्यूटर साइंस लेकर पॉलिटेक्निक कोर्स कर सकते है। इसके बाद लेटरल एंट्री लेकर बीटेक की दूसरे वर्ष में दाखिला लेकर सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन सकते है।

निष्कर्ष: दोस्तों आज की लेख में हमने Software Engineering in Hindi के बारे में चर्चा की है। जहां आपको सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के लिए योग्यता, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स कौन कौन से है, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग कोर्स फीस, कैसे आप सॉफ्टवेयर इंजीनियर बन सकते है, सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग सैलरी, आदि के बारे जानकारी प्राप्त हुई है।

आशा करते है आपको Software engineering course in Hindi में जानकर अच्छा लगा होगा। यदि ऐसा है तो कृपया अपने दोस्तों के साथ ज्यादा से ज्यादा इस लेख को शेयर करे ताकि उन्हें भी सॉफ्टवेयर इंजीनियरिंग के बारे में पता चले।

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